लेखनी कहानी -22-Aug-2024
कौन रहबर है इसका पता तो चले। मैं अगर थक गया काफिला तो चले। ❤️ हम चिराग़ों को जलने का आए हुनर। सामने से मुखालिफ हवा तो चले। ❤️ किस लिए हो खफा,किस लिए गमज़दा। मेरी गुस्ताखियां कुछ पता तो चले। ❤️ हां इफाका न होगा मेरे मर्ज़ में। चारागर मेरे,मेरी दवा तो चले। ❤️ बात शुरुआत हो, इक मुलाकात की। पास बैठो मेरे सिलसिला तो चले। ❤️ न "सगी़र" अब ज़माने की परवाह हो। दूरियां जितनी हैं सब मिटा तो चले।